त्योहारों से पहले मिल सकती है बड़ी खुशखबरी, Repo Rate में कटौती का ऐलान कर सकता है RBI

RBI MPC Meeting August 2025 RBI की MPC बैठक में आज नीतिगत ब्याज दर पर फैसला आएगा। इस बार रेपो रेट में बदलाव की संभावना भी कम है। हालांकि, अब नजरें गवर्नर के फैसले पर टिकी हैं।
RBI MPC Meeting, Repo Rate Cut: भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठक करती है. इस बैठक का मुख्य मकसद रेपो रेट पर फैसला लेना होता है. रेपो रेट वो दर है जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। आज आरबीआई रेपो रेट पर बड़ा ऐलान कर सकता है, जिसके बाद पता चलेगा कि आपकी होम और कार लोन EMI घटेगी या नहीं?
FY25-26 की तीसरी मॉनेटरी पॉलिसी के नतीजे आज 6 अगस्त को आने वाले हैं. सुबह 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) बैठक के नतीजों की घोषणा करेंगे. बता दें कि फरवरी से लेकर जून तक RBI रेपो रेट में 1% की कटौती कर चुका है. जब रेपो रेट कम होता है तो इससे आम लोगों के लोन का बोझ भी कम होता है. ऐसे में लोगों को इस बार भी रेपो रेट में कटौती के तोहफे का इंतजार है.
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा आज सुबह 10 बजे प्रमुख ब्याज दर पर फैसले की घोषणा करेंगे। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 4 अगस्त से अपनी द्विमासिक नीति बैठक आयोजित की और निर्णय की घोषणा आज की जाएगी।
क्या है मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक?
मौद्रिक नीति समिति (MPC) भारतीय रिज़र्व बैंक की एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसका मुख्य काम देश में महंगाई को काबू में रखना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस समिति में छह सदस्य होते हैं- तीन RBI की तरफ से और तीन सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र सदस्य। RBI का गवर्नर इस समिति का अध्यक्ष होता है। ये समिति हर दो महीने में एक बार बैठक करती है ताकि देश की आर्थिक स्थिति का जायजा ले सके और ज़रूरी फैसले कर सके।
क्यों होती है हर दो महीने में ये बैठक?
अर्थव्यवस्था एक गतिशील चीज़ है, जो लगातार बदलती रहती है। देश और दुनिया में हो रही घटनाओं का इस पर सीधा असर पड़ता है। इसलिए, अर्थव्यवस्था की सेहत पर नज़र रखने और समय पर ज़रूरी कदम उठाने के लिए एक नियमित व्यवस्था की ज़रूरत होती है। MPC की हर दो महीने में होने वाली बैठक इसी ज़रूरत को पूरा करती है। इस बैठक में समिति कई महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण करती है, जैसे:
- महंगाई दर: देश में चीज़ों और सेवाओं की कीमतें कितनी तेज़ी से बढ़ रही हैं।
- आर्थिक विकास दर: देश की अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
- कर्ज की मांग: लोग और कंपनियां कितना लोन ले रहे हैं।
- वैश्विक आर्थिक स्थिति: दुनिया के अन्य देशों की आर्थिक हालत कैसी है और उसका भारत पर क्या असर पड़ सकता है।
- इन सभी पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करने के बाद ही MPC मौद्रिक नीति पर कोई फैसला लेती है।